लोकसभा चुनाव 2024 के निपटने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के उस खास स्थान पर पहुंचे हुए हैं, जहां लगभग 30 साल पहले (11 दिसंबर 1991 को बीजेपी की एकता यात्रा के दौरान) वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामान्य से कार्यकर्ता के रूप में गए थे। यह स्थान है कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल की। वहां का ध्यान मंडपम वही जगह है, जहां कभी स्वामी विवेकानंद ध्यान लगाते थे और कन्याकुमारी में उन्हें भारत माता के दर्शन हुए थे। इसी शिला का उनके जीवन पर बड़ा असर पड़ा था। समूचे राष्ट्र को घूमने के बाद स्वामी विवेकानंद वहां पहुंचे थे और उन्होंने तीन दिनों तक वहां ध्यान करने के बाद ‘विकसित भारत’ का सपना देखा था।
सियासी गलियारों में पीएम नरेंद्र मोदी की कन्याकुमारी यात्रा को अहम माना जा रहा है। ऐसा बताया गया कि स्वामी विवेकानंद के ध्यान स्थल पर उनका पहुंचकर मेडिटेशन करना ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को जीवन में उतारने के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाता है। भारत के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित इस लोकेशन पर देश की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं। यह हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है। ऐसे में माना जा रहा कि पीएम नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी से राष्ट्रीय एकता का संकेत देना चाहते हैं।
बीजेपी के फायरब्रांड नेता का कन्याकुमारी दौरा तमिलनाडु के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता और प्रेम को भी दिखाने की कोशिश करता है। यह एक तरह से मैसेज देने की कोशिश करता है कि पीएम चुनाव खत्म होने के बाद भी दक्षिण भारतीय राज्य का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमिलनाडु की यात्रा बेहद खास मानी जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने दक्षिण भारत के राज्यों में वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी की ओर से ताबड़तोड़ प्रचार किया और वहां पर पार्टी के पैर जमाने में एड़ी-चोटी का जोर लगाया। जनसभाओं और रैलियों के दौरान उन्होंने तमिल संस्कृति को भी बढ़ावा दिया था।
तय कार्यक्रम के अनुसार, नरेंद्र मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे तक ध्यान साधना करेंगे, जो कि एक जून, 2024 तक चलेगी। हालांकि, बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने शिवगंगा में मीडिया से कहा कि यह पीएम की ‘निजी’ यात्रा है।