लोकसभा चुनाव के सात में से पांच चरणों के मतदान हो चुके हैं। पांच चरण की वोटिंग के बाद भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सत्ताधारी NDA और विपक्षी I.N.D.I.A ब्लॉक दोनों ही अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। एकतरफ भारतीय जनता पार्टी 400 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है तो वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया भी जीत का दावा कर रही है। दोनों गठबंधनों के दावे अपने-अपने हैं। लेकिन दांवों के दौर में बात पिछले चुनावों की भी हो रही है। जहां दोनों ही गठबंधनों का फोकस इस बार उन सीटों पर अधिक है जहां जीत-हार का आंकड़ा कम ही रहा था।
पिछले लोकसभा चुनाव में देश की 543 में से 30 सीटें ऐसी थी जहां जीत हार का अंतर 10 हजार वोट से कम था। इन सीटों पर दोनों ही गठबंधन ने पूरी जोर आजमाइश की है। पिछले चुनाव में जिन 30 सीटों पर मार्जिन 10 हजार से कम था, उनमें जम्मू और कश्मीर की अनंतनाग सीट के साथ ही अंडमान और निकोबार, आरामबाग, औरंगाबाद, भोंगिर, बर्दवान-दुर्गापुर, चामराजनगर, चिंदबरम समेत कई ऐसी सीट शामिल है।
क्लोज कॉन्टेस्ट में बीजेपी की अगुवाई वाला NDA भारी पड़ा था। 30 में से 15 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। जिसमें बीजेपी को 10, टीडीपी को तीन, जेडीयू और एनसीपी को एक-एक सीटों पर जीत मिली थी। विपक्षी इंडिया ब्लॉक की बात करें तो उसे आठ सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को पांच, डीएमके को एक, वीसीके को एक और तृणमूल कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। इनमें से कुछ सीटें ऐसी थी जहां जीत और हार का अंतर पांच हजार से भी कम रहा था।
वहीं इसके उलट बात की जाए तो लोकसभा चुनाव 2019 में 543 में से 371 सीटें ऐसी थी, जिनके सांसद का फैसला एक लाख वोट से अधिक के अंतर में हुआ था। इस अंतर से NDA ने 259, इंडिया गठबंधन को 78 और अन्य को 34 सीटें मिली थी। NDA की बात करें तो बीजेपी के ही 226 उम्मीदवारों ने एक लाख वोट से अधिक के अंतर से जीत हासिल की थी। इसके अलावा जेडीयू के 13, शिवसेना के 11, LJP के 6 और अपना दल के एक उम्मीदवार को एक लाख वोट से अधिक के अंतर से जीत मिली थी। जबकि इंडिया गठबंधन की कांग्रेस और डीएमके 22-22, तृणमूल कांग्रेस को 16 सीटों पर एक लाख से अधिक वोट के अंतर से जीत मिली थी। इस कैटेगरी की 4 सीटों पर शिवसेना यूबीटी, 3-3 सीटों पर आईयूएमएल और समाजवादी पार्टी, 2-2 सीटों पर NCP और CPIM, 1-1 सीटों पर RSP, आम आदमी पार्टी समेत अन्य पार्टियां रही।
पिछले लोकसभा चुनाव में दोनों ही गठबंधन ने खूब मेहनत की। लेकिन सबसे ज्यादा फायदा रहा NDA को। पुराने आंकड़ों को देखते हुए NDA ने कम अंतर से मिली सीटों सहित सभी सीटों पर ही काफी मेहनत की है और इसका फल भी NDA को मिलता दिख रहा है।