इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने उनकी नस्लवादी टिप्पणियों के बाद हुए विवाद के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह घोषणा उन्होंने मंगलवार को की। कांग्रेस पार्टी ने भी उनकी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया है, और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने पित्रोदा के इस्तीफे की पुष्टि की है। पित्रोदा ने ‘द स्टेट्समैन’ के साक्षात्कार में भारत की विविधता को उजागर करने की कोशिश की थी, लेकिन उनका तरीका कईयों को अस्वीकार्य लगा। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रीय लोगों की उपस्थिति का वर्णन करते हुए उन्हें चीनी, अरब, गोरे और अफ्रीकी जैसे लेबल से तुलना की थी, जिसे कई लोगों ने नस्लीय और अनुचित माना।
प्रतिक्रिया और प्रभाव
इस टिप्पणी के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई विपक्षी नेताओं ने पित्रोदा की आलोचना की। पित्रोदा की टिप्पणी को व्यापक रूप से ‘नस्लवादी’ कहा गया और इसने कांग्रेस पार्टी की छवि को धूमिल किया। इस घटनाक्रम ने कांग्रेस पार्टी के इंटरनल और एक्सटरनल रिलेशन्स पर गहरा प्रभाव डाला है।
पित्रोदा का इस्तीफा और भविष्य
सैम पित्रोदा के इस्तीफे से कांग्रेस पार्टी के लिए एक नई चुनौती उत्पन्न हो गई है, क्योंकि वे अपनी पार्टी को इस विवाद से उबारने की कोशिश करेंगे। पित्रोदा के इस्तीफे के बाद, पार्टी को अपने नेतृत्व को मजबूत करने और इस तरह के विवादों से बचने के लिए सावधानीपूर्ण कदम उठाने होंगे।