हरियाणा में लोकसभा चुनाव के मैदान में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर ने चुनावी संग्राम को दिलचस्प बना दिया है। दोनों बड़ी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुकी हैं। भाजपा, जिसने पिछले चुनाव में सभी दस सीटें जीती थी, विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है, वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों और रोजगार सृजन की बातें करके जनता का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश में लगी है।
कांग्रेस की स्थानीय मुद्दों पर फोकस
कांग्रेस पार्टी की रणनीति हरियाणा में स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखने की है। चुनाव विश्लेषक सतीश त्यागी के अनुसार, पार्टी यह जानती है कि स्थानीय समस्याओं पर बात करने से वह सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठा सकती है। इसलिए, कांग्रेस के नेता अपने भाषणों में और घोषणाओं में स्थानीय स्तर की समस्याओं और उनके समाधानों को प्रमुखता दे रहे हैं। यह रणनीति, कांग्रेस को विशेषकर उन क्षेत्रों में लाभ पहुंचा सकती है, जहां लोग पिछली सरकारों के कार्यकाल से संतुष्ट नहीं हैं।
भाजपा का मोदी और राष्ट्रवाद पर जोर
दूसरी ओर, भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और राष्ट्रवाद के मुद्दों को प्रमुखता दी है। पार्टी का मानना है कि मोदी की लोकप्रियता और उनकी सरकार की उपलब्धियों को सामने लाकर वे मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। हर रैली में ‘जय श्रीराम’ के नारे के साथ, पार्टी भावनात्मक और धार्मिक ध्रुवीकरण के सहारे भी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।
ये चुनाव हरियाणा के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां की राजनीतिक स्थिति भविष्य के लिए कई मायनों में निर्धारण करेगी। दोनों पार्टियां अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को अपने वादों और नीतियों के आधार पर आकर्षित करने में लगी हुई हैं, और परिणाम स्वरूप यह देखना दिलचस्प होगा कि किसकी रणनीति अधिक कारगर साबित होती है।