हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर होता दिख रहा है क्योंकि तीन निर्दलीय विधायकों ने नायब सिंह सैनी की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है। यह घोषणा सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन, और धर्मपाल गोंदर ने की, जिन्होंने प्रेस मीट में यह जानकारी साझा की। इस घटनाक्रम के साथ, विपक्ष उत्साहित हो गया है और फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहा है।
विपक्ष का बढ़ता विश्वास और सरकार पर दबाव
विधायकों के इस कदम ने नायब सिंह सैनी सरकार के लिए समस्याएं खड़ी कर दी हैं। विधानसभा में भाजपा के पास अब 40 विधायक हैं और दो अन्य विधायकों के इस्तीफे के बाद, विधानसभा की संख्या 88 रह गई है। ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए सरकार को 45 विधायकों का समर्थन चाहिए, जो अब सरकार के पास नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस और जेजेपी की रणनीति
दुष्यंत चौटाला ने साफ संकेत दिए हैं कि अगर विपक्ष की सरकार बनाने की स्थिति बनती है तो वे उन्हें समर्थन देने को तैयार हैं। उन्होंने नायब सैनी सरकार को अपना बहुमत साबित करने की चुनौती दी है। उधर, कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने जेजेपी से मांग की है कि वे गवर्नर को पत्र लिखकर भाजपा का समर्थन नहीं करने की पुष्टि करें।
नायब सिंह सैनी सरकार की मौजूदा स्थिति
हरियाणा की राजनीति में इस उथल-पुथल के कारण सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं। विधानसभा स्पीकर का कहना है कि हाल ही में सरकार ने फ्लोर टेस्ट पास किया है, इसलिए छह महीने से पहले फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता। इस बयान से राजनीतिक स्थिति और भी पेचीदा हो गई है, और राज्य की राजनीति में आगे क्या होगा, यह सवाल सभी के मन में बना हुआ है।