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Friday, November 15, 2024

कुरुक्षेत्र में अभय सिंह चौटाला को मजबूती, आप के सुशील गुप्ता चुनावी दौड़ से पिछड़े

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कुरुक्षेत्र, हरियाणा: इस लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र चर्चा का केंद्र बना हुआ है। भाजपा ने यहां से लोकप्रिय कांग्रेस नेता नवीन जिन्दल को अपना उम्मीदवार बनाकर मास्टर स्ट्रोक चला था। जिसके बाद से ही दूसरे नंबर की लड़ाई शुरु हो गई कि आखिर नवीन जिन्दल से सीधी लड़ाई करेगा कौन, सुशील गुप्ता या अभय चौटाला। चुनाव के आगे बढ़ते धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी अब रेस से बाहर होती नजर आ रही है। जब से इनेलो के उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला को किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का समर्थन मिला है। इस समर्थन से चौटाला की स्थिति मजबूत हुई है, जबकि आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता चुनावी दौड़ में पिछड़ते नजर आ रहे हैं।

नवीन जिंदल, जो कुरुक्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं, उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में आसान जीत मिलती दिख रही है। जिंदल पहले कांग्रेस पार्टी में थे और उनका कांग्रेस में अच्छा खासा आधार था, इसलिए उनके पास न केवल भाजपा के मतदाता हैं बल्कि उनके वफादार कांग्रेसी मतदाता भी हैं जो अब भी उनके साथ खड़े हैं। इस संयोजन ने उन्हें इस सीट पर एक मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित कर दिया है और जिंदल की जीत की संभावना को काफी हद तक बढ़ा दिया है।

स्थानीय समर्थन और चुनावी रणनीति

किसान नेताओं ने अभय सिंह चौटाला को उनके किसान हितैषी रुख और पिछली सरकारों की किसान नीतियों से विरोध के चलते समर्थन दिया है। गुरनाम सिंह चढूनी ने विशेष रूप से बल देकर कहा कि चौटाला ने किसान आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई है और उनके समर्थन से इस बार भी इनेलो पार्टी यह सीट जीतने का प्रयास कर रही है।

विपक्षी उम्मीदवारों की स्थिति

आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता, जो कि कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में अपेक्षाकृत नए चेहरे हैं, उनकी पहचान और स्थानीय संबंधों का अभाव उनकी चुनावी संभावनाओं पर भारी पड़ता दिख रहा है। उनके कमजोर प्रदर्शन को विभिन्न पोलिटिकल पंडित उनकी अपर्याप्त स्थानीय जड़ों और कम सामुदायिक जुड़ाव के रूप में देख रहे हैं।

राजनीतिक टिप्पणियाँ और कदम

गुरनाम सिंह चढूनी की टिप्पणी कि भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा में भाजपा को जितवाने में संलग्न हैं, और भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही पार्टियां कारपोरेट घरानों के हित में कानून बना रहे हैं, ने राजनीतिक विवादों को हवा दी है। इस तरह के बयान ने चुनावी संघर्ष को और भी तीव्र कर दिया है, और मतदाताओं के बीच चर्चाओं को गरम कर दिया है।

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